सप्ताह की कहानी
यह कूर्माचल प्रान्त की एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण जाति है इस देश का आज कल का प्रचलित नाम कुमाऊँ हैं यह हिमालय पहाड़ की तलैटी में वसा हुआ हैं इस प्रदेश में सब ही ब्राह्मण भिन्न -भिन्न प्रान्त व देशों से आये हुये थे जिन में महारास्ट्र , द्रविड़ ,कान्यकुज्ज ,गौड़ और सनाढ्य आदि २ सम्मिलित हैं | .By शशीकांत शर्मा / पुत्र श्री आशाराम शर्मा
उप्रेती शब्द ' उपराड्ं ' शब्द का अपभ्रंश है जो दो शब्दों से बना है ,उप + राड्ं = उपराड्ं जिसका अर्थ राजा के समीप ' ऐसा होता है राजा का मंत्री अर्थात् मंत्री वंश के ब्राह्मण उप्रेती कहाये | .By शशीकांत शर्मा / पुत्र श्री आशाराम शर्मा
उपपुरोहित का अपभ्रंश भी 'उप्रेती ' हो सकता है जैसे शुद्ध शब्द 'पुरोहित ' मं विशेषतत्व अर्थ में 'उप' भी लगा देते हैं तब उप + पुरोहित = उप पुरोहित हुआ | यही उप पुरोहित शब्द विद्या के अभाव से बदल कर से बदल कर उपप्रोहित से बदल कर उप्रोहित हुआ , उप्रोहित से उप्रोहिती हुआ और उप्रोहिती से बदल कर आजकल का शब्द उप्रेती हो गया | अतएव उप पुरोहित शब्द बिगड़ते लघुत्तम रूप से उप्रेती लोक में प्रसिद्ध हो गया है | .By शशीकांत शर्मा / पुत्र श्री आशाराम शर्मा
यह ब्राह्मणों के दो मुख्य विभाग हैं एक राज-कर्मचारी दूसरा पुरोहित कर्मचारी है मैं इन राज-कर्मचारी पुण्यदान दक्षिणा लेना व पुरोहित कर्म करना अच्छा नहीं समझते और पुरोहित गण तो ऐसा करते ही है पर राज-कर्मचारी गण अपने को उच्च कोटि के समझते हैं , यह उचित नहीं है क्योंकि राजकर्मचारी गणों के पास धन ,जन और राजसत्ता का बल होने से यदि वे दान शक्ति के कारण मदान्ध होते हैं By शशीकांत शर्मा / पुत्र श्री आशाराम शर्मा
यदि कोई नपुंसक कहे कि मैं आजन्म ब्रह्मचारी रह सकता हूँ तो इस में वीरता ही क्या ? शास्त्र धारानुसार दान देना और लेना ब्राह्मणों के कर्म है अतः न राजकर्मचारी गण बड़े और न पुरोहित गण छोटे माने जा सकते है वरन् दोनों ही समान हैं | .By शशीकांत शर्मा / पुत्र श्री आशाराम शर्मा
संपूर्ण ही ब्राह्मण वर्ण का विवरण हमने अपने ब्राह्मण निर्णय ग्रंथ में लिखा है तहाँ 324 प्रकार की ब्राह्मण जातियों का विवरण हमनें विस्तृत रुप से लिखा है परन्तु कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में से आस्पद व कुल उपाध्यिें हमें एक कूर्माचलय उप्रेती ब्राह्मणों के अतिरिक्त किसी ब्राह्मण समुदाय में नहीं मिली अतएव हमें भी विश्वास होता है कि आजकल की स्थिति इन कान्यकुब्जों की कैसी भी हो यथार्थ में प्राचीन ब्राह्मण कहाने के अधिकारी ये ही हैं |
123/5000 का अनुवाद: लैटिन अपने काम के लिए तैयार हो रहे हैं, लेकिन यह अभी तक काम नहीं कर रहा है, लेकिन कुछ समय के लिए उन्हें काम करने के लिए श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।
अपने काम के लिए तैयार हो रहे हैं, लेकिन यह अभी तक काम नहीं कर रहा है, लेकिन कुछ समय के लिए उन्हें काम करने के लिए श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।
अपने काम के लिए तैयार हो रहे हैं, लेकिन यह अभी तक काम नहीं कर रहा है, लेकिन कुछ समय के लिए उन्हें काम करने के लिए श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।
अपने काम के लिए तैयार हो रहे हैं, लेकिन यह अभी तक काम नहीं कर रहा है, लेकिन कुछ समय के लिए उन्हें काम करने के लिए श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।
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सप्ताह की कहानी
मैं शशीकांत शर्मा हूँ मैं एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हूं। यह मेरी दूसरी साइट है भारत। और मुझे उम्मीद है कि हर व्यक्ति इस साइट की तरह, हर व्यक्ति एक पंजीकृत हैमेरी पहली साइट है श्रीजी ज्योतिष भागवत सेवा संस्थान. - शशीकांत शर्मा