पं.हरिकृष्ण जी उप्रेति षट्शास्त्री हुये पं. रेवाधर जी उप्रेति के प्रतिपितामह के पिता नैपाल में सूबा हुये, कई वर्ष डोटी रिसायत में शासन किया पं. मनोरथ जी उप्रेति ईस्वी सन् १८५७ में मेजर सूबेदार बनाये गये पं. पीतांबर जी उप्रेति फरुखाबाद के नबाब के प्रियपात्र थे पं. दुर्गादत्त जी उप्रेति गंधर्व विध्द्या में प्रवीण हुये हैं राजा बाज बहादुर चन्द के समय देवशाखा के पं.श्यामदेव उप्रेति व्यापारिक अध्यक्ष थे पं. देवकीनंदन जी उप्रेति उच्च शिक्षा प्राप्त मास्टर थे पं. नरोत्तम उप्रेति ने तीन यंत्र ऐसे बनाये थे जिनके द्वारा तिब्बत की खबरे चन्द राजा को तत्काल अल्मोड़े में मिल जाया करती थीं इस से राजा ने प्रसन्न होकर उनको पर्गना सीरा में २५ गाँव जागीर में दिये थे वे अब से ६० वर्ष पूर्व यानी सन् १८६० के आस पास सरकार ने वापिस ले लिए | इन उच्च पदस्थ विद्वानों के हाथ में क़िसी समय राज सत्ता थी
अत: इन उपरोहितोंकी उप्रैति संज्ञा होना भी संभव है इन समय भी उप्रेतियों में अनेकों योग्य व्यक्ति हैं पं. रेवाधर जी उप्रेती रानी धारारोड अल्मोड़ा ,पं. देवकीनंदन जी उप्रेती बी ,ए कपीना पं. दुर्गादत्त जी उप्रेती एम.ए.एस.एस.सी लेक्चरार टेक्निकल कॉलेज कानपुर. पं. गोविन्द बल्लभ उप्रेती बी.ए सुपरिंटेंडेंट यू.पी. इलाहबाद व नैनीताल पं. त्रिलोचन दत्त बी.ए हेडमास्टर मुक्क्तेस्वर,डा. रिठानी नैनीताल जाति विषय १ धुरंधर विद्वान है पं. हीराबल्लभ उप्रेती जी सुपरिंटेंडेंट गवर्नमेंट गार्डन टेहरी गढ़वाल,पं. नारायणदत्त उप्रेती जी ऑफिस सुपरिंटेंडेंट पौढ़ीं गढ़वाल पं. देवीलाल उप्रेती जी उप्रेतीखोला अल्मोड़ा आदि आदि अनेकों प्रसिद्ध २ विद्वानों के अतिरिक्त पूर्वकाल के उप्रेतियों में पं. जयकृष्ण जी उप्रेति भी एक उल्लेखनीय व्यक्ति हुए है जिनकी सेवा से ब्रिटिश गवर्नमेंट ने प्रसन्न हो कर उन्हें २०० माहवार की पेंशन दी थी इस सम्बन्ध में आनरेवाल मिस्टर एडवार्ड गार्डनर एजेंट गवर्नर जनरल ने सेकेट्री टुंडी गवर्नमेंट को अपने पत्र तारीख़ ४ सितम्बर सन्1815 द्वारा इन्हें सनद व पेंशन देने के विषय में लिखा इसके उत्तर में सैकेटरी टुंडी गवर्नमेंट ने अपने आज्ञापात्र तारीख २५ सितम्बर सन्1815 द्वारा मंजूरी दी |
ब्राह्मण इतिहास और :
एक ग्रन्थकार की ऐसी संपत्ति भी है कि '' महाराष्ट्र देश के ब्राह्मण शिवप्रसाद मण कोटी राजा के समय यात्रार्थ इस देश में आए थे काली देवी के दर्शन को गंगोली गए | राजा ने उन्हें 'उप्रेड़ा' ग्राम जागीर में देकर विनय पूर्वक रोकलिया, राजा के मंत्री हुये'' इस आधार से ऐसा भी निश्चय होता है कि उप्रेड़ा ग्राम
के सबब से यह उप्रैति कहाये हों और राज मंत्री होने से विशेष महत्वता मिली हो ऐसा होना भी संभव हैं
J.A. BHA.P.163
*उप्रेतीयों के भेद :
उप्रेतीयों के चार भेद हैं:-
1. सिंह:-ये जाखनी,अठागुली फल्दाकोट , कसेड़ी, डोटी और नेपाल में मुरैना, ग्वालियर आदि जगह में हैं
2. श्रीधर:-ये नौडूंगा और नयनोली में भरतपुर धौलपुर आदि हैं.
3. देव:-ये चोऽया,खेती, ढ़ांगा,विनायक , भैंसोड़ी,पाटिया ,मझेड़ा बांकू,अल्मोड़ा ,दशोली और फलयाटी में आगरा ,बरेली झाँसी आदि जगहों में हैं|
4. पृथ्वीधर:-कूं,खेतड़ा,नाडौर,सुब्बाकोट,झिजाड़,संकुनकांर्डे बरेली और दिल्ली,फरीदाबाद आदि जगहों पर हैं
कन्नौज से शिव प्रसाद वाजपेयी मन कोटी के राज्य में आये थे उस समय वहाँ चन्द्रवंशियों का राज्य था ,गंगोली के मनकोटी राजा ने उनको अपना अपराड् मंत्री बनाया उनके ग्राम का नाम भी उप जिसे आजकल अपराड़ा कहते हैं|
इन की कुछ पीढियों में चार भ्राता हुये जिनके नाम सिंह,श्रीधर,देव.पृथ्वीधर थे सिंह के वंशज नैपाल के सीलगुड़ी में दरबार पौराणिक पण्डित है जिसके उपलक्ष्य में उन्हें ७०० बार्षिक नैपाल सर्कार से मिलता है कुछ लोग बजांग राज दरबार में गुरु हैं व कुछ सिंहाइ (अवध) में हैं रिसायत में मंत्री व कन्दर हैं श्रीधर के वंशज नैपाल ग्राम हैं देव के वंशज जयकृष्ण उप्रेति पहले चन्द राजा के वजीर पश्चात् कहल होने से गोरखी फौंजो को लेकर चन्दों को हरा कर कॉल कुमाऊँ गढ़वाल के गवर्नर हुये पश्चात् गोरखों की अंग्रेजी से खटपट चली तब इन्होंने पर्वत चढ़ाई में अंग्रेजों की सहायता की इसके उपलक्ष्य में इन्हें अंग्रेजों से २०० मासिक पोलीटिकल पेंशन मिली जो इनके पोते तक मिलती रही और पल्टन के कप्तान बनाये गये | जयकृष्ण का पोता राय बहादुर पं. गंगादत्त उप्रेति डिप्टी कलेक्टर रहे पं. जयकृष्णजी के पुत्र कमलापति और महेश्वर उप्रेति गोरखी राज्य में गढ़वाल के फौजदार थें गंगोली हाट कूंग्राम का रामेश्वर उप्रेति गोरखी राज्य में फौजदार थे मनोरथ उप्रेति अंग्रेजी सेना के मेजर सूबेदार थे